कव्वाली के सुरो ने रुला दिया
भजनो की आवाजो ने जगा दिया
दुःख तो सबका एक सा है
क्या हिंदू क्या मुस्लिम
दिल को चीर के बता दिया
क्या मेरा मौला तेरा राम करता है
मंदिर, मस्जिद तोड गुनाह हराम करता है
लहू बहा के अकीदतमंदो का
खुद को उसकी नजरो से तू गिराता है
क्या तूने तालीम पायी
इतनी सी बात भी समझ न आयी
जो दुसरो के लिए कबर खोदता है
वही पहले उसमे जा गिरता है
ऐ खुदा के बंदे
मत कर किसी से नफरत
लगा हर किसी को सीने से
नही इससे बढकर कोई नेमत