पेट भरने को निवाला एक जैसा ही सब खाते है
ईट–मिट्टी के दिवारो मे सब रहते है
दुख मे हर कोई याद उस परवरदिगार को करते है
पता नही क्यो धरम के नाम पर उस उपरवाले को
चोला हिंदू–मुस्लिम का पहनाकर बदनाम करते है