छोडो शराब

 

रस्ते किनारे किसी कूडादान के पीछे कुछ दारू की बोतले,

सिगारेट के जले हुए टुकडे, उसकी राख,

चखनेके कुछ पदार्थ बिखरे पडे थे

कल रात क्या भयानक हादसा हुआ उसकी गवाही दे रहे थे

 

दोचार दोस्त उधार के पैसो से, घरवालों से छुप के,

वहा दारू पी रहे थे और एकदूसरे को गाली दे रहे थे,

किसी पुरानी रंजिशपर आपस मे झगड रहे थे

दूसरा दोस्त उन्हे समझा रहा था

वो लोग थोडा रूककर, दारू का एक घूंट पी कर, फिर से लड रहे थे

दारू ख़तम हो गई और एकदूसरे को गन्दी गालिया देकर

साले कल तूने पिलानाऐसा बोलकर सारे दोस्त लडखडाकर निकल पडे थे

 

दारू की बोतले बेवारस पडी थी, हवा से इधरउधर झूल रही थी,

चखनेपर चीटिया डेरा जमाये बैठी थी

और सिगारेट के टुकडे चारो ओर बिखरे पडे थे

कोई उनका वाली नही था, वो तो बेवारस थे

पीनेवाले भी अपने जैसे ही कंगाल हैये सोचकर 

वहा पडे कुढे के तिनके

उन शराबियो के जिंदगानी पर तरस खा रहे थे

 

शराब की बोतले बोल रही थी

अपना नसीब ही खोटा है ईसलीये इस जनम मे हम शराब बनी,

लेकिन ये इंसान तो हमे पीकर अपना नसीब खराब कर रहा है

बड़ा गुस्सा आ रहा था उन खाली बोतलो को इंसान जातिपर

 

इतने मे हवा का जोर का एक झोका आया

और दिवार से टकराकर बोतल टूट गयी

टूटे हुए कांच मे से रोने की आवाज आ रही थी

और तिलमिला के बोल रही थी

हम तो दुल्हन सी सजकर मयखानो की शान बढायेंगे

लेकिन हमारी लत लगनेवालों की तो किस्मत ही फुट गयी

जो हमे वो गले लगायेंगे

 

दोस्तो छोडो शराब,

है पल की जिंदगी, पर बड़ी है नायाब