न जाने फिजा मे
नफरत का कौन सा कोरोना फैला हुआ है
सैकड़ो सालो से फैला हुआ है
जात, धरम, समाज, ऊंच–नीच,
काले–गोरे का भेद कर रसूखदार इंसान
गरीबों को पैरो तले रौंदता है
जात, धरम के कोरोना का हर दिन नया “वेरियंट” पैदा होता है
वह पहले से कई गुना घातक होता है
नफरत के कोरोना की महामारी के “पिक लहर” मे
जरा सी फुसफुसाहट भी विक्राल रूप धारण करती है
और शहर में आगजनी, मारकाट होकर
सारा देश कई दिनों तक “क्वारंटाइन” हो जाता है,
“प्रोहिबिटेड एरिया” बन जाता है
हर दिन कोई ऐरागैरा आता है
और नफरत के कोरोना का नया घातक वेरियंट पैदा कर
मोहल्ले, शहर, देश, गलीकूचों के लोगो मे
घबराहट फैलाकर निकल जाता है
पता नही इस घातक जात–पात, ऊंच–नीच के कोरोना पर
कब “वैक्सीन” निकलेगी ?
अब तो लोगो को ही स्वयं पहल करनी होगी
और जागृत होकर
समाज के सभी वर्गोपर सामान दृष्टी रखनी होगी
हर एक को जात, धरम, ऊंच–नीच के चष्मे से परे देखना होगा,
अपना समजना होगा
अगर नही करोगे ऐसा, एक दिन यह जात, धरम का कोरोना
सबको अपनी चपेट मे लेकर निगल जाएगा
और समय
इस समस्या के जड तक जाने की “वैक्सीन” ढूंढने में ही निकल जाएगा