मत करो इंसानो मे फरक

 

हम तो कालिख से भी घोर अज्ञानी है

उलटे घडे पे बहता पानी है

धूल गए पाप गंगा मे नहाकर

समझनेवाले महाज्ञानी है

 

इंसान परमात्मा की संताने है

धर्मग्रंथो मे लिखा रटते है

मेरा बेटा लाडला राजा

दुसरो को रंक की नजर से देखते है

 

हम इंसानो को बांटते है

उनको औकातो से तोलते है

रसूखदारो से मिल गले

बाकि से जानवरोसा सुलुख करते है

 

अरे अज्ञानो जरा बाहर देखो

कल का गरीब आज का अरबो का मालिक है

जिस को कभी खाने के लाले थे

वो लाखो को खिलाता रोटी है

 

किसकी किस्मत कब खुलेगी किसने जाना

हर एक को दिया है उसने हुनर का खजाना

क्या पता कब किसका जादू चल जाये

फूटी किस्मत सवर जाए

 

मेरे भाई, मत कर इंसानो मे फरक

तू भी तो उनमे से एक है

आज उसे देख नाक मरोड रहा प्यारे

क्या पता कल तू वहा पहुँच जाये