धरम मीठा, उसका रीतिरिवाज झूठा
धरमग्रंथ की लिखावट सही
मुल्लामौलवी की बात ना मानो कोई
हर त्यौहार मे है भाईचारा
ना सुनो किसी का नफरत का नारा
किसी का सूरज, किसी का चांदतारा
आकाश का नीला, लाल रंग है हमारा
खुशी और तकलीफो की आवाजे एक
चिंगारी लगानेवाला किसी का सगा नही देख
हम संताने है परवरदिगार की
मत सुन बाते किसी और की
मेरे दोस्त, बचे रह इन लालची चुहो से,
बोटि नोचनेवाले कौओं से
बेहतर अच्छा इनसे रखना दूरी है
इसमे ही सबकी समझदारी है
इनके मुँह मे राम और बगल मे छुरी है