मुझे शराब ने पिया है

 

जितने मजे से मैने शराब नही पी

उससे कही ज्यादा मजे से मुझे शराब ने पिया है

पैसो की तंगहाली तो छोडो

कभी बीवीबच्चों के तो कभी रिश्तेदारो के नजरो से गिराकर

बिना पानी के धोया है

 

चियर्स करने के लिए

जाम से जाम टकराने की आवाज बड़ी अच्छी लगती थी

अनजान लोग भी दोस्त बनते थे पिने के लिए

बड़ी बेपर्वा जिंदगी गुजरती थी

 

जरा से कुछ गुस्से पे लिया करता था शराब का सहारा

नशे मे सारा दिन करता था गुजारा

मोबाइल पर चिल्लाकर मुँह से निकलती थी गालियाँ

हर वक्त किसी को मारमिटने की बाते

खत्म होते ही पास की शराब

खाली बोतलो को दे के गालियाँ

गुस्से से धकेल मारता था लाते

 

जवानी थी, जोश था ! लेकिन होश कहा था ?

बीवीबच्चे ने छोडा, सर पे कर्जा चढा

तब दुनिया से वास्ता पडा


जिन के संग दारू पिने बैठता था,

जिन को अपने पैसे से पिलाता था

उन्होने भी टाटा, बाय बाय करना शुरू कर दिया

मांगने गया कर्जा

तो साहुकारो ने भी शराबी कहकर देने से मना कर दिया

 

कई बीमारिया शरीर मे डेरा डाल चुकी थी

दवाईया भी नाकाम हो चुकी थी

चखना, शराब तो छोडो, दालचावल खाने के भी वांधे थे

गरीबी और बीमारी के जंजीरो ने हात बांधे थे


किसी कोने मे पड़ा दिनभर खांसता था

दिवार पर टंगा शराब का कैलेंडर

सुंदर युवतियों के हात मे शराब की बोतले दिखाकर

पंखे की हवा मे लहराकर जोरजोरसे हँसता था

 

बड़ी लानत आयी खुद पे

लगा, नही करना चाहिए था नशा

शराब जैसे ही मतलबी पियक्कड साथी मिले थे

साथ था उनका केवल मयखाने तक

असली खुशिया कब की बिछड चुकी थी

अब ना पास थी शराब ना उसका नशा

अब तो उसके नाम से भी घिन्न आ रही थी

 

दोस्तो यही हकीकत है, छोडो मय और मयखाना

नही छोडोगे इसका साथ तो नरक से भी बद्त्तर है तुम्हारा जीना