मै इंसानियत का फरिश्ता हू

 

मंदिरमस्जिद जाने के लिए मेरे पास वक्त नहीं

और दुनिया की सबसे बेहतरीन टेक्नोलॉजी,

जहा होती है प्रगत कास्तकारी,

जहा खोजी जाती है जीवनरक्षक दवादारी

सब काम छोड़ पहले जाता हू मै वही

 

मै मंदिरमस्जिद की और देखता भी नही

मेरे लिये प्रयोगशाला, कारखाने, स्कूले यही जगहे है सही

 

मै किसी धर्म के धर्मालय को चंदा देता नही

लेकिन गरीब किसान को खाद, जरुरतमंदो को दवा,

किसी बच्चे की स्कूल ना छूटे उसको किताबे, वह्या

न दिया ऐसा होता ही नही

 

मै किसी मंदिरमस्जिद का प्रसाद, इफ्तार की दावत खाता नही

लेकिन कोई गरीब भूखा न सोये, उसके घर का चूल्हा जले

इसके लिए मदत किये बिना रहता भी नही

 

मै गीता, कुरान, बाइबल पढ़ना पसंद करता नहीं

और सायंस, टेक्नोलॉजी सिखानेवाली किताबों को

पढ़े बगैर छोड़ता नही

 

मै बागी हू, फकीर हू, किसी धरम को मानता नही

मै तो इंसानियत का फरिश्ता हू

चाहे निकाले धरम के ठेकेदार मेरा सर कलम करने का फतवा

मै उसको गिनता नही