“Maternity Home” मे एक युवक लड़का होने की ख़ुशी मे
बडे हर्षोल्लास से मिठाईया बाट रहा था
दूर से एक बुजुर्ग उसको देख मुस्कुरा रहा था
जब वह युवक उस बुजुर्ग को मिठाईया देने आया
तो उस बुजुर्गने मिठाईया लेते हुए उस युवक को कहा
“बेटा तुमको बधाई हो, लेकिन पुत्र मोह मे धृतराष्ट्र मत बनना,
पुत्र को अच्छे संस्कार देना, उसको पढ़ाना, लिखाना
और अपने पैरोंपर खड़ा कर एक अच्छा नागरिक बनाना
तो ही तेरी ये खुशिया द्विगुणित होगी और इस मिठाई की मिठास बढ़ेगी
अगर तू पुत्र मोह मे अंधा बना और तेरा पुत्र कुसंगतियों का शिकार हुआ
तो तू खून के आंसू रोयेगा और मिठाई बांटनेपर अफसोस जतायेगा“
दोस्तो, लड़का–लडकी एक ही है
बस अपना देखने का नजरिया अलग है
हम बेटियों को घर के काम मे “कोलू के बैल” जैसे लगाकर
शिक्षा से वंचित कर देते है
और लड़कों को “घर का चिराग” समझकर
उन पर सारी जायजाद कुर्बान कर देते है
आखिर लड़की ही बुढापे का सहारा बनती है
पुत्र से तो “बनती” ही नही है
सोचो ! लडका–लडकी मे भेद मत करो
दोनो को समान समझो
सोच बदलो
लडकी को पढाओ, सम्मान दो, उसको आगे बढाओ