शक का माहौल

 

किसी का भगवा रंग, तो किसी का हरा, नीला

किसी को चाँदतारा, तो किसी को सूरज से गिला

किसी को खटके भजन, तो किसी को अजान

जब निकले जुलुस त्योहारों का,

पत्थरबाजी मे भगवान हो जाये लहूलुहान

तो रसूल के गुस्ताखीमे किसी की निकल जाये जान

 

कोई पढे हनुमान चालीसा, तो कोई कुरान

कोई दे भगवान को गाली,

तो कोई उठाये रसूल के कैरेक्टर पर सवालनिशान

यहाँ हर कोई जाट, ठाकुर तो कोई है पठान

खुदा, भगवान के नकाब पहनकर

जानवर घूम रहे है बनकर इंसान

 

किसी की शेंडी तो किसी की लुंगी से

अब होने लगी है पहचान

हाथ मे लिये खंजर, आगबबूला आँखों से

हिंदू, मुस्लिमो की गली से गुजर रहे है शैतान

चार घर हिंदुओ के जलाये, पांच मुस्लिमो के

सीना तान के बताना अब बन गयी है शान

ये धरती किसी का स्वर्ग तो किसी की जन्नत

शक के माहौल मे बन गयी है शमशान

 

कही निकलते है बूत के मेले, तो कही बजते है संदल

पर ना उसमे है रूहानी फैज या अपनापन

दोस्तो, ना दो किसी के धरम को गाली

ना आको कम खुदा, भगवान को

वो अपनेआप मे कुछ तो होगा

करके तो है हम, हमारा दिन और वतन